Is Sheher Ne Baarish Ko Nahi Bhula

इस शहेर ने बारिश को नही भूला!
गर्मी से रिहाई का, बोझ उतारना नही भूला| इस शहेर ने बारिश को नही भूला!
बादलों के आशीर्वाद का, शुक्रिया अदा करना नही भूला| इस शहेर ने बारिश को नही भूला!
चहेरे पे पड़ती बूँदो का, मज़ा लूटना नही भूला| इस शहेर ने बारिश को नही भूला!
काग़ज़ की नैया को, इठलाते देख हसना नही भूला| इस शहेर ने बारिश को नही भूला!
गर्म चाए और पकोडे का, स्वाद अब तक नही भूला| इस शहेर ने बारिश को नही भूला!
बरसते हुए पानी मे, यादें बरसाना नही भूला| इस शहेर ने बारिश को नही भूला!
गीली मिट्टी की खुश्बू को, महसूस करना नही भूला| इस शहेर ने बारिश को नही भूला!
कंबल ओढकर सोने का, सुकून अब तक नही भूला| इस शहेर ने बारिश को नही भूला!
इस शहेर ने बारिश को नही भूला!
– Vishvaraj Chauhan (Funadrius)