Savaal Hai (Poem)
दर वीरान है और दस्तक का सूना हाल है, शहर मे मकान तो है, पर घर का सवाल है|
खुले उजाले मे बस्ते अंधेरे का ख़याल है, हँसना आता तो है, पर हँसी खिलने का सवाल है|
रात को नींद नही पर दिन से लड़ने की मज़ाल है, सीने मे दिल तो है, पर धड़कन का सवाल है|
रास्ते है कहीं, और अकेले चलने का काल है, लोग पहचानते तो है, पर अपनो का सवाल है|
ज़िंदगी का यह एक ऐसा मायाजाल है, तन्हाई तो है, पर जीने का सवाल है|
– Funadrius